Monday, September 03, 2007

कारे कान्हा प्यारे क्यूं?

नैन हुए जलधारे क्यूं
कोई किसी को मारे क्यूं?








तुम इतने बेचारे क्यूं?
उनके वारे न्यारे क्यूं?

हम तो ऐसे कभी न थे
बदल गए हम सारे क्यूं?

पत्ती से पूछे चिड़िया
पेड़ की खातिर आरे क्यूं?

जिनके रहते हिम्मत थी,
वे ही हिम्मत हारे क्यूं?

दिल ही जिनके बहरे हैं
दिल से उन्हें पुकारें क्यूं?

उनके लिए महल कोठी
तुझको ईंट और गारे क्यूं?

गंगा शीश झुकाय नहीं
सागर चरण पखारे क्यूं?


सहने की भी सीमा है
मिलते नहीं सहारे क्यूं?

आंखों के मीठे सपने
बहकर हो गए खारे क्यूं?

रात में बादल धुंध धुआं
दिन में दिखते तारे क्यूं?

सन्नाटों से गूंज रहे
गांव गली गलियारे क्यूं?

गोरी से दरपन पूछे
कारे कान्हा प्यारे क्यूं?