Wednesday, January 23, 2008

भारत-रत्न कबीर को दो



भारत-रत्न कबीर को दो


--चौं रे चम्पू! दुनिया जहान की का खबर ऐ रे?
--ख़बर ये है चचा कि बाज़ार में अचानक भारत-रत्न के शेयर बहुत नीचे आ गए। बुरी तरह लुढ़क गए। ऐसी गिरावट अभी तक देखी नहीं गई। रिकार्ड गिरावट, कोई दो टके नहीं पूछ रहा इस शेयर को। दिल्ली की दल-दल दलाल-स्ट्रीट में मायूसी का माहौल है। इतना सस्ता हो गया शेयर कि चतुर लोग इस उम्मीद के साथ ख़रीदारी में लग गए, शायद आगे चल कर मंहगा बिके। चित्रकार हुसैन के साथ बाबा रामदेव भी लाइन में आ गए हैं। खरीद लो, खरीद लो। भारत-रत्न खरीदने का यही गोल्डन चांस है। लोकप्रियता का सिक्का चलाओ और भारत-रत्न पाओ। पांचजन्य अख़बार कहता है कि शहीद भगत सिंह को मरणोपरांत भारत-रत्न दिया जाए। अब अटल जी का नाम लेना बन्द कर दिया उन्होंने। जैसे ही देखा कि शेयर बाज़ार बहुत नीचे आ गया है तो सोचा कि अपने प्रोडक्ट की रक्षा करो। ऐसा नाम लाओ जो चल जाए। लाइन बहुत लम्बी होती जा रही है। चचा, बाइ द वे तुम क्यों नहीं ले लेते भारत-रत्न?
-- अरे चम्पू हमें भारत-रतन ते का लैनों-दैनों? सेरो-साइरी के सौकीन ऐं। लै दै कै अपने पास एक इज्जत ऐ, वाऊऐ सेअर बजार में दाव पै लगाय दैं, ऐसी मति नांय फिरी रे। मगन मन भांग घोटौ, आँख मूंद खटिया पै लोटौ। चकाचक पियौ, चकाचक जियौ।
-- अरे नहीं चचा! तुमने जो महान काम किए हैं इतिहास ने उनकी अनदेखी करी है। रामदेई का जापा हुआ तो आधी रात में उसे कंधे पर उठा कर अस्पताल कौन ले गया? हमारा चाचा। जब कबड्डी में भोलू की टाँग टूटी तो मौके पर पलस्तर किसने चढ़ाया? चाचा ने। जमुना में बाढ़ आई तो किसने दो दिन तक, अपनी जान जोखिम में डाल कर, घाट पर लगाया लोगों को? हमारे चाचा ने। चौरासी के दंगे में सरदार रतन सिंह की ट्यूब-टायर की दुकान किसने बचाई? हमारे चाचा ने। अपनी पैंशन के पैसे से गंगाराम का इलाज किसने कराया? स्कूल से भागे बच्चों की बगीची पे क्लास किसने लगाई। तुम्हें भारत-रत्न ज़रूर मिलना चाहिए, चचा।
-- चौं रे चम्पू! तैंनै तौ हमारे निरे कारनामे गिनाय दिए लल्ला। पर अबी तौ भौत काम कन्ने ऐं रे। भारत कौ कछू ऐसौ उद्धार होय कै न कोई बच्चा अनपढ़ रहै, न कोई बीमार। सब सुखी हों, सब सुन्दर हों। भारत-रतन में का धरौ ऐ? जे भारत ई रतन की तरियां चमकै, तब ऐ असली मजा चम्पू!
-- अरे परसों के सैंसैक्स जितने ऊंचे विचार और ऐसी बिन्दास सादगी। अब तो मेरा विश्वास प्रगाढ़ होता जा रहा है चचा कि तुम्हें तो भारतरत्न मिलना ही चाहिए। चचा, अपने चरण दिखाओ। मैं उन्हें फ़ौरन छूना चाहता हूं। बस इतना सा निवेदन मेरा भी मान लेना कि जब तुम्हें भारत-रत्न मिले तो अपने इस चम्पू को कम से कम पद्मश्री तो दिलवा ही देना। तुम्हारे इस चम्पू ने भी कम काम नहीं किए हैं। लगा हुआ है चालीस बरस से। कभी फिल्म बनाता है, कभी कविताएं लिखता है, कभी कम्प्यूटर के विकास पर काम करता है। चचा ध्यान रखोगे न?
-- अरे धत्त! जहां स्वारथ आयौ वहीं सब गलत। हमें नाएं चइयै भारत-रतन और चम्पू तौउऐ नाएं लैन दिंगे पदमसिरी। बजार में सेयर के भाव गिर गए तू मत गिर। भगत सिंह के तांई शहीद ते बड़ी कोई उपाधि नाएं है सकै। मरणोपरांत दैनौ ऐ तौ भारतरतन देऔ कबीरदास कूं जानैं भेद-भाव भुलाय कै इंसान की खोपड़ी पै अक्कल कौ ढक्कन लगायौ। जो कुप्रबृत्ति कूं कोसै वाऐ देओ। जो बुद्धी कूं परोसै वाऐ देओ। जो माल ढकोसै वाते का मतलब!
-- चचा ये आइडिया भी ख़ूब लाए तुम। बाज़ार में उछालने के लिए ये नाम भी चमकदार है। कबीर का नाम, वाट ऐन आइडिया सर जी।
-- पर चम्पू कैसौ लगैगौ— भारत-रतन कबीर। वाके नाम के अगाड़ी तौ ‘अनपढ़’ लगायौ करें-- अनपढ़ कबीर। जो बात अनपढ़ कबीर में हतै, सो भारत-रतन कबीर में कहां ऐ रे। भारत-रतन कबीर ते भौत ऊंचौ ऐ-- अनपढ़ कबीर। तेरे बाप नैं चार लाइन सुनाई हतीं। रोज तू सुनावै, आज मोते सुन लै चम्पू--
अनपढ़ कबीर के बोल अभी भी ज़िंदा हैं
हर पढ़े-बे-पढ़े पर उनका जादू समान,
थे शांति निकेतन में पढ़ते उनको रवीन्द्र
खेतों में उनका अर्थ समझता है किसान।

(23-01-08 को राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित)

Monday, January 21, 2008

गोविन्दा का थप्पड़


कुर्सी दर्शक से हिली, थप्पड़ मारा एक,
टीवी ने तकनीक से, थप्पड़ किए अनेक।
थप्पड़ किए अनेक, तैश में थे गोविन्दा,
राजनीति में खेल चल पड़ा निन्दा-निन्दा।
चक्र सुदर्शन, अगर रोकनी मातमपुर्सी,
क्षमा मांग ले, वरना हिल जाएगी कुर्सी।

Tuesday, January 15, 2008

खुंदक का कांटा




माया यू. पी. की बनीं, दावे से सी.एम.,
प्रबल कामना अब जगी, बन जाएं पी.एम.
बन जाएं पी. एम., काम ना होने वाला,
यदि खुंदक का कांटा तुमने नहीं निकाला।
चक्र सुदर्शन देखे, वो ही पी.एम. आया,
जिसने सदा मुलायम बन फैलाई माया।