Thursday, June 07, 2007

छोड़ना

जब वो जीवित था
तो उसने मुझे
कई बार छोड़ा,
और मर कर
उसने मुझे
कहीं का नहीं छोड़ा,
क्योंकि मेरे लिए
कुछ भी नहीं छोड़ा।
वैसे
बहूत ऊंची-ऊंची छोड़ता था।

24 comments:

  1. अशोक जी..

    आपकी कविता का बेसब्री से इंतज़ार था। व्यंग्य-हास्य और दर्द क्या कुछ नहीं है इस रचना में। भावनाओं को शब्द देने की आपकी कला अचरज में डालती है....आपकी लेखनी को नमन।

    *** राजीव रंजन प्रसाद

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  2. बहुत बढ़िया ....स्वागत है आपका

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  3. ब्लॉग पर काफी अच्छी छोड़ी है सर आपने!

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  4. हाँ, कमबख्त छोड़ेगा
    यह सोच उसे छोड़ा नहीं,
    अब उनसे छोड़ते हुए कुछ नहीं छोड़ा
    और कहता है, मझधार में तो छोड़ दिया और क्या छोड़ूं? :)

    मस्त चकलस है जी. आनन्द आया.

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  5. देख कर अच्‍छा लगा, चकल्‍लसों की प्रतीक्षा रहेगी।

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  6. ये "छोड़्ना" अच्छी रही.

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  7. वाह, वाह, वाह, वाह

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  8. अशोक चाचा बचपन से मै आपकी कविताएँ सुनती आई हूँ क्या छोड़ते है आप.. डॉक्टर वैसे भी यदि हँसाने वाला हो तो आधे मरीज अपने आप ठीक हो जाते है...

    सुनीता(शानू)

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  9. तू सुनता था
    और मै छोड्ता
    लेकिन तू पकडता रहता
    और मै छोडता
    अब कैसे कहता है
    कुछ नही छोडा
    गर नही छोडा तो
    ये कहा से सुनाया
    अरे ये वाह वाह
    और इतनी टिप्पणिया
    कहा से लाया

    गुरुदेव क्षमायाचना सहित
    आपका
    पंगेबाज

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  10. Bahut Badhiya Guruvar....

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  11. Badhiyaa hai Ashok ji

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  12. 'वाह-वाह' कहे बिना दिल माना नहीं अशोक जी।! आपकी इस छोटी सी कविता ने हमें छोड़ा तो नहीं पर आपका बना दिया है और कसम से अब आपको नहीं छोड़ूंगा।

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  13. अशोक अंकल! मज़ा आ गया। आपकी नई रचना का इंतेज़ार रहेगा।

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  14. वाह, क्या बात है!! अब फिर इंतजार है. :)

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  15. प्रणाम सर,
    ऐसा गम्भीर हास्य,व्यंग सिर्फ आपकी ही कलम से निकल सकता है यह तथ्य सर्वसत्य है..और कविता मस्त है.ब्लॉग जगत धन्य हो गया आपके आने से..
    धन्यवाद के साथ
    आपका,
    -विज

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  16. चक्रधर जी यह रचना पढकर मैं आपका फैन हो गया। सच कह रहा हूँ , छोड नहीं रहा।

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  17. चलो फ़िर भी एक बात अच्छी रही कि चलते चलते उसने अपने साथ चलने के लिये नही कहा...

    जान है तो जहान है... अशोक जी :)

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  18. waah mazaa aa gaya...padhkar

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  19. chalo oochee occhee chhoden

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  20. मरते मरते भी पंगा लगा गया, कम्बख़्त।

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  21. वाह वाह, क्या छोडा है.

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  22. or dekhiye Vaam-Dalo ney congress ko choda,congress ney jinko paheley choda tha unoney hi sarkaar ko bachaney key liye apna din-imman choda.........
    aakhir kab tak hum bachou ki tarah kheltey rahengey..

    Ashok Ji, Bahut Badhiya likha hai..par aap likhna mat chodiyga...

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