मिलन कामना उर बसी, फिर क्यों बिछुड़े नाथ? बस कुछ दिन की दुश्मनी, फिर मिलाएंगे हाथ। फिर मिलाएंगे हाथ, अभी नकली तलाक है, वोटर को फुसलाना, क्या कोई मज़ाक है! चक्र सुदर्शन, कुछ दिन का है रोल विलन का, बिना विरह के बोलो क्या आनंद मिलन का!
अशोक जी, नमस्कार, बहुत सुना है आप को, आज आप को ब्लाग पर देख कर बडी़ प्रसन्नता हुई और मैं सच में प्रसन्न वदन हो गया। आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा। मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन है कि आप को ये पसंद आयेंगे।आप के विचारों का बेसब्री से इन्तज़ार रहेगा।
ई क्या मामला है! आप हाथ-वाथ मिला रहे हैं? ई सब तो चुनाव आचार संहिता के दायरे में आ जाता है.
ReplyDeleteबिल्कुल सही अशोक जी,जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। बाद मे यही जोड़ तोड़ की राजनिति मे लग जाएगें।
ReplyDeletesahi hai samay bhi milan ki hai .........aapka to koee sanee nahee hai, sir
ReplyDeleteजय हो!
ReplyDeleteJo abhineta the, abhi neta hain.
ReplyDeleteJo abhi neta the,abhi vilen hain.
Yahi to chakra ka chakra hai.
Bahut khoob Ashok ji.
अशोक जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
बहुत सुना है आप को, आज आप को
ब्लाग पर देख कर बडी़ प्रसन्नता हुई और मैं
सच में प्रसन्न वदन हो गया।
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।आप के विचारों का बेसब्री से इन्तज़ार रहेगा।
अच्छा है।
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