Thursday, October 07, 2010

तुम रहो, हम रहें


तुम रहो
हम रहें
देश रहे!
नहीं कोई क्लेश रहे!

10 comments:

  1. ना राम रहे न अलाह रहे।
    जिनको रखना हो , वो अपने दिल में अपना भगवान रखें।
    ये धरती है इंसानों की, यहाँ सिर्फ इन्सान रहे।
    प्रेम का मजहब रहे।
    अमन में मेरा हिंदुस्तान रहे।

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  2. आशा है कि ऐसे ही हम रहे तुम रहो..
    अमन हमारे संग रहे..

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  3. अच्छी और सही पंक्तिया |

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  4. सुन्दर सच्ची बात कही है ।

    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  5. पर भाव चढे
    तो का करे :)

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  6. सच में जिसने भी सोचा बडे ही गहरे होकर सोचा है

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  7. U और I के बिना सच मे कितने अधूरे हैं दोनों..

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  8. वह गुरु श्रेष्ठ !
    कमाल के शब्द हैं
    बहुत ही गहरी नजर हे
    इसे कहतेहैं गागर में सागर भर दिया रे
    अब मैं भी गाना गुनगुनाऊंगा...

    ABCD छोड़ो
    U से I को जोड़ो
    बन जाये फिर ये कहानी
    की हम हैं हिन्दुस्तानी
    आजा मेरे जानी,

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  9. gagar mein sagar bhar diya ..

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