Tuesday, April 12, 2011

दरोगा जी समझ नहीं पाए



(समझदार भाषा कई बार नासमझी की जननी बन जाती है।)
हाए हाए!
दरोगा जी
कुछ समझ नहीं पाए!

आश्चर्य में जकड़े गए,
जब सिपाही ने
उन्हें बताया—
रामस्वरूप ने चोरी की
फलस्वरूप पकड़े गए।

दरोगा जी बोले—
ये क्या रगड़ा है?
रामस्वरूप ने चोरी की
तो भला
बिना बात फलस्वरूप को
क्यों पकड़ा है?
सिपाही
बार-बार दोहराए—
रामस्वरूप ने चोरी की
फलस्वरूप पकड़े गए।
पकड़े गए जी पकड़े गए
पकड़े गए जी पकड़े गए!

दरोगा भी लगातार
उस पर अकड़े गए।

दृश्य देखकर
मैं अचंभित हो गया,
लापरवाही के
अपराध में
भाषा-ज्ञानी सिपाही
निलंबित हो गया।

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