
(घर साफ़-सुथरा रखें तो आंगन में ख़ुशियां थिरकती हैं।)
फ़रक है, फ़रक है, फ़रक है,
दोनों घरों में फ़रक है।
हवा एक में साफ़ बहे,
पर दूजे में है गन्दी,
दूजे घर में नहीं
गन्दगी पर कोई पाबंदी।
यहां लगता है कि जैसे नरक है।
दोनों घरों में फ़रक है।
पहले घर में साफ़-सफ़ाई,
ये घर काशी काबा,
यहां न कोई रगड़ा-टंटा,
ना कोई शोर शराबा।
इसी घर में सुखों का अरक है।
दोनों घरों में फ़रक है।
गंदी हवा नीर भी गंदा,
दिन भर मारामारी,
बिना बुलाए आ जातीं,
दूजे घर में बीमारी।
इस घर का तो बेड़ा ग़रक है।
दोनों घरों में फ़रक है।
गर हम चाहें
अच्छी सेहत,
जीवन हो सुखदाई,
तो फिर घर के आसपास,
रखनी है ख़ूब सफ़ाई।
साफ़ घर में ख़ुशी की थिरक है।
फ़रक है, फ़रक है, फ़रक है,
दोनों घरों में फरक है।
ई दुसरा घरवा सौतन का तो नहीं :)
ReplyDeleteaapki to baat hi alag hai..kya khne
ReplyDeleteएक में जीवन लगे स्वर्ग
ReplyDeleteदूसरे में बेडा ग़रक है ।
फ़रक है भाई फ़रक है ।
तो फिर घर के आसपास,
ReplyDeleteरखनी है ख़ूब सफ़ाई।
ekdam theek bole....
यही तो फरक है।
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