Thursday, October 07, 2010

तुम रहो, हम रहें


तुम रहो
हम रहें
देश रहे!
नहीं कोई क्लेश रहे!

10 comments:

Anand Rathore said...

ना राम रहे न अलाह रहे।
जिनको रखना हो , वो अपने दिल में अपना भगवान रखें।
ये धरती है इंसानों की, यहाँ सिर्फ इन्सान रहे।
प्रेम का मजहब रहे।
अमन में मेरा हिंदुस्तान रहे।

Pratik Maheshwari said...

आशा है कि ऐसे ही हम रहे तुम रहो..
अमन हमारे संग रहे..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक पंक्तियाँ

anshumala said...

अच्छी और सही पंक्तिया |

डॉ टी एस दराल said...

सुन्दर सच्ची बात कही है ।

नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

पर भाव चढे
तो का करे :)

अजय कुमार झा said...

सच में जिसने भी सोचा बडे ही गहरे होकर सोचा है

Udan Tashtari said...

U और I के बिना सच मे कितने अधूरे हैं दोनों..

Khare A said...

वह गुरु श्रेष्ठ !
कमाल के शब्द हैं
बहुत ही गहरी नजर हे
इसे कहतेहैं गागर में सागर भर दिया रे
अब मैं भी गाना गुनगुनाऊंगा...

ABCD छोड़ो
U से I को जोड़ो
बन जाये फिर ये कहानी
की हम हैं हिन्दुस्तानी
आजा मेरे जानी,

Parul kanani said...

gagar mein sagar bhar diya ..