इस चक्रधर के मस्तिष्क के ब्रह्म-लोक में एक हैं बौड़म जी। माफ करिए, बौड़म जी भी एक नहीं हैं, अनेक रूप हैं उनके। सब मिलकर चकल्लस करते हैं। कभी जीवन-जगत की समीक्षाई हो जाती है तो कभी कविताई हो जाती है। जीवंत चकल्लस, घर के बेलन से लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन तक, किसी के जीवन-मरण से लेकर उसके संस्मरण तक, कुछ न कुछ मिलेगा। कभी-कभी कुछ विदुषी नारियां अनाड़ी चक्रधर से सवाल करती हैं, उनके जवाब भी इस चकल्लस में मिल सकते हैं। यह चकल्लस आपको रस देगी, चाहें तो आप भी इसमें कूद पड़िए। लवस्कार!
8 comments:
आप सब को होली की हार्दिक मंगलकामनाएं.
होली की शुभकामनाएँ
सुबह साढ़े दस बजे --अज़ी होली खेलेंगे कि देखेंगे । :)
होली की हार्दिक शुभकामनायें ।
चलिये देखते हैं।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.
होली का रंग तो जम गया पर भंग का क्या होगा ?:)
holi to hoye li guru ji,
ab aage ke he
holi ki bahut sari shubkamnye
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