Saturday, September 20, 2008

झलकियां : "जयजयवंती वार्षिकोत्सव"

प्रिय और आदरणीय मित्रो,

इन दिनों समारोहों का सिलसिला अपनी निरंतरता में गतिमान है। इंडिया हैबिटेट सैंटर के स्टाइन सभागार में 11 सितंबर 2008 को सम्पन्न हुई "जयजयवंती वार्षिकोत्सव" में सुश्री पूर्णिमा वर्मन का सम्मान हुआ। उनके लैपटॉप को हिन्दी सॉफ्टवेयरों से सज्जित किया गया। इस अवसर पर स्नेहा चक्रधर ने अपनी गुरु पद्मश्री गीता चन्द्रन के निर्देशन में भरतनाट्यम की ऐसी प्रस्तुतियां दीं जिनमें हिन्दी रचनाओं का प्रयोग किया गया था। इस समारोह की झलकियां देखने की फुरसत आपके पास हो तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

http://www.flickr.com/photos/jaijaivanti/

ये चित्र और उन पर की गई टिप्पणियां पायल की हैं।
लवस्कार


8 comments:

Sajeev said...

ashok ji aapko aur purnima ji ko bahut bahut badhaaiyan

Sumit Pratap Singh said...

आदरणीय गुरुवर!

सादर प्रणाम!

शिष्य का सम्मान करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया निमंत्रण स्वीकारें व शिष्य के ब्लॉग सुमित के तडके (गद्य) पर पधारें। "एक पत्र आतंकवादियों के नाम" आपकी आशीर्वादरूपी टिप्पणी हेतु प्रतीक्षारत है।

Udan Tashtari said...

चित्र देखे, बहुत अच्छा लगा. पूर्णिमा जी को बधाई.

Anita kumar said...

फ़ोटो अच्छे हैं मतलब पायल जी अच्छी फ़ोटोग्राफ़र हैं और स्नेहा चक्रधर की मुद्राएं बहुत ही लुभावनी हैं अच्छा नृत्य करती होगी। इन फ़ोटोस को हमारे साथ बांटने के लिए आभार

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

जयजयवँती जेसे अभिनँदन समारोह होने ही चाहीये !
पूर्णिमाजी को बहुत बधाई !!
स्नेहाजी को बधाई और पायल के चित्र , सभी सुँदर !
- लावण्या

विनय (Viney) said...

इस जयजयवंती के विषय में हमें भी बताइये. ये तो समझ में आया के हिन्दी के उत्थान के लिए हैं. मगर कहाँ है और क्या कार्यक्रम होते हैं?

योगेन्द्र मौदगिल said...

बढ़िया आयोजन-संयोजन..
मजा आ गया स्लाइड-शो देख कर..
लगा हम भी वहीं पर थे..
खैर...

अमित माथुर said...

पूर्णिमा जी को वास्तव में सम्मान मिलना चाहिए. आज से करीब छे सात साल पहले मैं पहली बात उनकी वेबसाइट www.abhivyakti-hindi.org और www.anubhuti-hindi.org पर गया था. वो कविता करने का मेरा पहला प्रयास था और इसकी एकमात्र वजह गुरुदेव श्री अशोक चक्रधर जी का काव्य संग्रह भोले-भाले और चुटपुटकुले था. पूर्णिमा जी ने जब हिन्दी वेबसाइट का शुभारम्भ किया था तब उनकी वेबसाइट को सबसे बड़ा सप्पोर्ट शुषा फॉण्ट का रहा था. मुझे आज भी शुषा फॉण्ट में लिखना पसंद है मगर अब तो हिन्दी लिखने के इतने तरीके और ज़रिये मिलते हैं की पूर्णिमा जी वास्तव में हिन्दी वेबदुनिया की रहनुमा दिखाई देती हैं. पूर्णिमा जी को सादर प्रणाम. हैरानी तो इस बात की है गुरु महाराज श्री अशोक जी का ब्लॉग अब सामने आया है. आपका आशीर्वाद बना रहे इसी कामना के साथ. -अमित माथुर