इस चक्रधर के मस्तिष्क के ब्रह्म-लोक में एक हैं बौड़म जी। माफ करिए, बौड़म जी भी एक नहीं हैं, अनेक रूप हैं उनके। सब मिलकर चकल्लस करते हैं। कभी जीवन-जगत की समीक्षाई हो जाती है तो कभी कविताई हो जाती है। जीवंत चकल्लस, घर के बेलन से लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन तक, किसी के जीवन-मरण से लेकर उसके संस्मरण तक, कुछ न कुछ मिलेगा। कभी-कभी कुछ विदुषी नारियां अनाड़ी चक्रधर से सवाल करती हैं, उनके जवाब भी इस चकल्लस में मिल सकते हैं। यह चकल्लस आपको रस देगी, चाहें तो आप भी इसमें कूद पड़िए। लवस्कार!
2 comments:
हार्ड ड्राइव का हो सामां
हम तो आयेंगे जी रामां
पेन नहीं तो हों पेंसिल ड्राइव
कुछ भी हो पर बनें आर्काइव
खिलखिलाहट होगी तो चहकेंगे
बातें से फूल हंसी के बिखरेंगे
विजेताओं को बहुत सारी बधाई !
भविष्य की हिन्दी वैसी ही होगी जैसी इसे 'हम' सब बनायेंगे।
Post a Comment