वाह! आज"संदर्भ 8वां विश्व हिन्दी सम्मेलन" के बारे में आप का ऐलान पढ कर मजा आ गया।:( आप ने बिल्कुल सही संकेत दिया है.यह हिन्दी सम्मेलन ऐसा ही कोरा था। इन के सम्मेलनों से कुछ होता तो है नही और ना ही इनके बारे में कुछ लिखने को ही है..कि कुछ लिखा जाए..:(...वैसे अभिनय जी ने आप को सही कमेन्ट किया है...अब जब हम भी यहाँ आ गए तो तो कोरा कागज देख कर ...समझ गए की पोस्ट में कॊइ गड़्बड़ आ गई होगी...:(....आप का नाम ही हमें बहुत हिम्मत बढाता है।
इस चक्रधर के मस्तिष्क के ब्रह्म-लोक में एक हैं बौड़म जी। माफ करिए, बौड़म जी भी एक नहीं हैं, अनेक रूप हैं उनके। सब मिलकर चकल्लस करते हैं। कभी जीवन-जगत की समीक्षाई हो जाती है तो कभी कविताई हो जाती है। जीवंत चकल्लस, घर के बेलन से लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन तक, किसी के जीवन-मरण से लेकर उसके संस्मरण तक, कुछ न कुछ मिलेगा। कभी-कभी कुछ विदुषी नारियां अनाड़ी चक्रधर से सवाल करती हैं, उनके जवाब भी इस चकल्लस में मिल सकते हैं। यह चकल्लस आपको रस देगी, चाहें तो आप भी इसमें कूद पड़िए। लवस्कार!
10 comments:
एकदम कोरा रहा
इस पोस्ट की तरह.
कोरे गये, कोरे आये,
निरे रुपईया खरच कराये
वाह! आज"संदर्भ 8वां विश्व हिन्दी सम्मेलन" के बारे में आप का ऐलान पढ कर मजा आ गया।:( आप ने बिल्कुल सही संकेत दिया है.यह हिन्दी सम्मेलन ऐसा ही कोरा था। इन के सम्मेलनों से कुछ होता तो है नही और ना ही इनके बारे में कुछ लिखने को ही है..कि कुछ लिखा जाए..:(...वैसे अभिनय जी ने आप को सही कमेन्ट किया है...अब जब हम भी यहाँ आ गए तो तो कोरा कागज देख कर ...समझ गए की पोस्ट में कॊइ गड़्बड़ आ गई होगी...:(....आप का नाम ही हमें बहुत हिम्मत बढाता है।
कौन कहता है की व्यंग लिखा जाता है?
कौन कहता है की व्यंग बोला जाता है?
कागज़ कोरा छोडना , अरे !ये तो विरोध की परम्परा है,
तो क्या चक्रधर जी आप भी विरोध....? किसका ...?
क्यों कि आप तो प्रमुख.... !!!!!!
चलो जाने भी दो यारो ..
हूं अच्छा विवरण।
जैसा कि हमने समझा :(
चक्रधर जी, हम तो वर्षों से आपके प्रशन्सक हैं, पर आप का यह व्यंग सबसे तीखा है और बहुत ही subtle है।
...
.
बिल्कुल ऐसा ही वहां का कवि सम्मेलन
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