Wednesday, April 22, 2009

वोटर कित्ते प्रकार के

—चौं रे चम्पू! वोटर कित्ते प्रकार के होंय?
—चचा जिस तरह का हमारा लोकतंत्र है, उसमें वोट बड़ी बेतुकी-सी चीज़ हो गई है| वोटर भी बेतुका-सा बनकर रह गया है।
—का बात कर दई? हमारे महान लोकतंत्र के बारे में तेरे ऐसे बेतुके बिचार! मोय तोते ऐसी उम्मीद ना ईं रे।
—चचा मुझे अपने देश के लोकतंत्र पर बेहद गर्व है। मेरा विचार अगर आपको बेतुका लग रहा है तो चलिए तुक मिला देता हूं। वोट की जितनी भी तुकें हो सकती हैं, उतने ही प्रकार के वोटर होते हैं। शुरू करते हैं ओट से।

पहला वोटर होता है ओटर, जो ओट में रहता है। वोट डालने के नाम पर छिप जाता है इसलिए उसे खोज कर पोलिंग बूथ तक लाना पड़ता है। अगला खोटर, इसके मन में खोट होता है। खुंदक में किसी को भी वोट डाल सकता है। अगला वोटर है गोटर, जो दूसरों के लिए भी गोटियां बिछाता है। न केवल खुद वोट डालता है, बल्कि दूसरों से भी अपनी मनवांछित वोटें डलवाता है। नैक्‍स्‍ट घोटर! ये वाला वोटर बहुत घोटा लगाता है। मंथन करता है। किसे दूं? अंतिम क्षण तक निर्णय पर नहीं पहुंच पाता। जब तक उंगली पर नीला निशान नहीं लगता, तब तक वह निर्णय की ओर नहीं बढ़ता। उसका घोटन तभी समाप्त होता है, जब बटन दब जाता है।
—चुप्‍प चौं है गयौ? आगे बोल।
—तुकें तो सोचने दो चचा। एक होता है चोटर। जिसे बाहुबली पीट देते हैं, क्‍योंकि बाहुबलियों को पता चल जाता है कि वह किसे वोट डालने वाला है। ऐसे वोटर को छोटर भी कह सकते हैं, क्‍योंकि महान लोकतंत्र में वह पिद्दी-सा है, छोटा-सा है। एक और होता है— टोटर। वह टोटकों का शिकार होता है। गांव के मुखिया और सशक्‍त लोग उसे धमका देते हैं कि पट्ठे, अगर तूने हमारे उम्‍मीदवार को वोट नहीं डाला तो डायन-पिशाचिनी तेरा सर्वनाश कर देगी।
और चचा यह तो आप जानते हैं कि नोटर नामक वोटर जिससे नोट लेता है, उसी को वोट देता है। मोटर नामक वोटर तब तक घर से नहीं निकलता, जब तक कि कोई वाहन उसे लेने न आ जाए। एक होता है रोटर, जो एक वक्‍त की रोटी की लालच में ही आदेशानुसार बताए गए चुनाव चिह्न का बटन दबाता है। ओवरकोटर नामक वोटर सिर्फ रोटी से नहीं बहलता, उसे कंबल और ओवरकोट चाहिए। एक होता है लंगोटर, वह इस चिंता में वोट डालने चला जाता है कि कहीं नेता लोग उसका लंगोट भी छीन कर न ले जाएं। पेटीकोटर मानसिकता का कुंठित वोटर इसलिए बूथ तक आता है कि बूथ पर महिलाएं दिखाई देंगी। अगला विस्‍फोटर! यह पोलिंग-बूथ को मौका-ए-सनसनी-ए-जुर्म-ए-वारदात बना सकता हैं। कट्टा-तमंचा साथ लेकर जाता है। गलाघोटर भी इसी संप्रदाय का वोटर होता है। कचोटर वह वोटर है, जिसे वोट डालने के बाद उसकी आत्‍मा कचोटती रहती है। वह सोचता है कि कम्बख्‍़त जब तुझे अपने चुने हुए प्रतिनिधि को घटिया प्रदर्शन पर वापस बुलाने का अधिकार नहीं है तो चुनकर ही क्‍यों भेजता है? कुछ वोटर लोटपोटर होते हैं, जिनके लिए चुनाव एक प्रहसन अथवा हास्‍य नाटक है। अखरोटर किस्‍म के वोटर दरवाज़ा तोड़ने पर ही घर से निकलते हैं, जैसे—अखरोट की मेवा दम लगाकर तोड़ने से निकलती है। प्रमोटर नामक वोटर बुद्धिजीवी होता है, जो जन-जन को वोट की महत्ता समझाता है। उससे भी ऊंचे दर्जे का होता है पेट्रीयोटर। यह मताधिकार का प्रयोग करने में अपनी देश-भक्ति की सार्थकता समझता है। सपोटर और सपोर्टर किस्‍म के वोटर मूलत: नेताओं के पिछलग्‍गू होते हैं, जो वोट डालने से पहले जिसको सपोर्ट कर रहे होते हैं उसका माल सपोटने में संकोच नहीं करते। इनमें जो श्रेष्‍ठ होते हैं, उन्‍हें लोटमलोटर कहा जा सकता है। वे अपने प्रत्‍याशी के कैम्‍प में अहर्निश लोटमलोट मुद्रा में पाए जा सकते हैं। वे तामलोट भी अपने प्रत्‍याशी का ही प्रयोग में लाते हैं। एक होता है मिस्कोटर, जो लोकतंत्र के लिए एक मिस्‍ट्री है। बातें तो ऊंची-ऊंची करेगा, लेकिन अपने ऊंचे भवन से निकलेगा ही नहीं।
—सबते खराब बोटर कौन सौ ऐ रे?
—वह जो स्‍वयं प्रत्‍याशी भी है, और इसलिए खड़ा हुआ है ताकि जीतने के बाद नोंचखसोटर, अथवा लूटखसोटर बन सके।
—और सबते सानदार बोटर कौन सौ ऐ?
—सबसे शानदार है होता है डिवोटर। जो हर हालत में वोट डालने जाता है। आंधी हो, तूफ़ान हो, कैसा भी व्यवधान हो, सम्मान हो या असम्मान हो, कितना ही म्लान हो, कितनी ही थकान हो और भले ही लहूलुहान हो वह चाहता है कि उसका मतदान हो और उँगली पर लोकतंत्र की स्याही का निशान हो। चचा, ऐसे डिवोटर वोटर का जयगान हो।

8 comments:

kbchauhan said...

sirji, aapne to voter pe puri thesis hi likh di. bahut badhiya. bahut khoob. per ye to bataiye itne din kahan the. aap ke champu se milne ko taras gaye.

शेफाली पाण्डे said...

एक होते हैं हमारे जैसे
कलम से टर्र टर्र करने वाले ...

आशीष कुमार 'अंशु' said...

Champooo aur Pappu (Pappu Cant Vote ....) me kyaa kuch antar hai???

संगीता पुरी said...

वाह !! वोटरों के इतने प्रकार हैं .. और इसमें से सबसे सबसे शानदार है मुझे भी डिवोटर ही लगा जो हर हालत में वोट डालने जाता है।

Anil Pusadkar said...

आपकी तारीफ़ भी करे तो कैसे करें,शब्द भी नही सुझते।बह्त बढिया।

Anil Kumar said...

बहुत ही बढ़िया!
बहुत ही बढ़िया!
बहुत ही बढ़िया!

Ashok Chakradhar said...

प्यारे मित्रो,
आपकी प्रशंसाएं बड़ा मादक प्रभाव छोड़ती हैं। मैं लगभग झूमने लगता हूं लेकिन चुनौती भी हैं प्रशंसाएं। अगली बार फिर से चम्पू की खोपड़ी की शानदार चम्पी करनी है। पर चम्पू वोट डालने ज़रूर जाएगा और पप्पूओं को कान पकड़ कर या टॉफी का लालच देकर ले जाएगा, भले ही आचार संहिता चम्पू का अचार बना दे।

लवस्कार
अशोक चक्रधर

Ajay Kumar Gautam said...

champu kirdaar hamaare Rajnetaon per bilkul fit baithta hai. Wah maan gaye ASHOK JI kya khoob likha hai.
Aap dher saari badhai ke paatr hai.