ना राम रहे न अलाह रहे। जिनको रखना हो , वो अपने दिल में अपना भगवान रखें। ये धरती है इंसानों की, यहाँ सिर्फ इन्सान रहे। प्रेम का मजहब रहे। अमन में मेरा हिंदुस्तान रहे।
इस चक्रधर के मस्तिष्क के ब्रह्म-लोक में एक हैं बौड़म जी। माफ करिए, बौड़म जी भी एक नहीं हैं, अनेक रूप हैं उनके। सब मिलकर चकल्लस करते हैं। कभी जीवन-जगत की समीक्षाई हो जाती है तो कभी कविताई हो जाती है। जीवंत चकल्लस, घर के बेलन से लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन तक, किसी के जीवन-मरण से लेकर उसके संस्मरण तक, कुछ न कुछ मिलेगा। कभी-कभी कुछ विदुषी नारियां अनाड़ी चक्रधर से सवाल करती हैं, उनके जवाब भी इस चकल्लस में मिल सकते हैं। यह चकल्लस आपको रस देगी, चाहें तो आप भी इसमें कूद पड़िए। लवस्कार!
10 comments:
ना राम रहे न अलाह रहे।
जिनको रखना हो , वो अपने दिल में अपना भगवान रखें।
ये धरती है इंसानों की, यहाँ सिर्फ इन्सान रहे।
प्रेम का मजहब रहे।
अमन में मेरा हिंदुस्तान रहे।
आशा है कि ऐसे ही हम रहे तुम रहो..
अमन हमारे संग रहे..
सटीक पंक्तियाँ
अच्छी और सही पंक्तिया |
सुन्दर सच्ची बात कही है ।
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें ।
पर भाव चढे
तो का करे :)
सच में जिसने भी सोचा बडे ही गहरे होकर सोचा है
U और I के बिना सच मे कितने अधूरे हैं दोनों..
वह गुरु श्रेष्ठ !
कमाल के शब्द हैं
बहुत ही गहरी नजर हे
इसे कहतेहैं गागर में सागर भर दिया रे
अब मैं भी गाना गुनगुनाऊंगा...
ABCD छोड़ो
U से I को जोड़ो
बन जाये फिर ये कहानी
की हम हैं हिन्दुस्तानी
आजा मेरे जानी,
gagar mein sagar bhar diya ..
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