Tuesday, June 05, 2007

नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब




1। कोख में बच्ची को क्यों मारते हैं उसके मां-बाप? अनाड़ी जी! बताइए आप?

कृष्णा देवी
नई दिल्ली

बच्ची जब हो जाएगी
शोख हसीना
तब दहेज मांगेगा कोई कमीना,
और आ जाएगा हमें पसीना!
--यह सोच कर मां-बाप
निठारी जैसी निठुराई अपनाते हैं।
शोख बालिका कहीं हमारी
खुशियां न सोख ले
इसलिए कोख को ही
उसकी कब्रगाह बनाते हैं।
धिक्कार है ऐसे मां-बाप को
कृष्णा जी!
और क्या बताएं आपको।

2. हमेशा अपनी उम्र छिपाती है नारी, ऐसा क्यों है अनाड़ी? क्या आपके अनुभव में कोई आई, जिसने अपनी उम्र छिपाई?


प्रतीक्षा खरे
म.प्र.


उम्र की सड़क पर महिलाएं
मील का पत्थर नहीं लगवाती हैं,
उस पर संख्याएं नहीं खुदवाती हैं।
अगर क़ुदरत ही खोद दे
तो उसके आगे
घना पौधा लगवाती हैं।
बहुत पूछने पर
एक आदरणीया ने किया स्वीकार
कि कर चुकी हैं तीस पार।
मैंने कहा-- बालिके!
माना कि तीस पार कर चुकी हो,
पर लगता है कुछ पड़ावों पर
कुछ ज़्यादा ही देर रुकी हो।
चलो मेरी शुभकामना है कि
साँसों की सवारी को अविराम खेती रहो,
और उम्र की सड़क पर
मौक़ा पाते ही यू-टर्न लेती रहो।


3. आपके हिसाब से शादी का लड्डू खाना अच्छा है या नहीं खाना अच्छा है?

कु. नीतू सिंह
नई दिल्ली


शादी का लड्डू खाने के लिए नहीं
बांटने के लिए होता है,
पारिवारिक दूरियों को
पाटने के लिए होता है।
आप तो अपने लिए ढ़ूंढिए
कोई बजरबट्टू,
और अपने लड्डू सिंह को
घुमाइए बना कर लट्टू।


4. बचपन में पचपन की उम्र अच्छी लगती थी और अब जब पचपन की हो गई हूं तो बचपन की उम्र अच्छी लगती है। मन हो गया है बावला, क्या करूं अनाड़ी जी?

सरोज चुनगोरिया
नई दिल्ली


पचपन की हो गईं
तो किस बात का मलाल है?
अपन छप्पन के हो गए,
अपना भी यही हाल है।
अनाड़िन अभी तिरेपन की हैं,
उन्हें यहां पहुंचने में दो साल लगेंगे,
तब हम दोनों आंख-मिचौनी,
छुआ-छाई खेला करेंगे।
और अगर आपके बलमा नहीं हैं छोटे,
तो दीजिए उनको मुहब्बत के झोटे।



5. अनाड़ी जी, इस तस्वीर में तो आप खूब जमते हैं, क्या कहिएगा अगर मैं कह दूं आप काका (राजेश खन्ना) जैसे लगते हैं?

सरिता गुप्ता
महोबा (उ.प्र.)



श्रीयुत राजेश खन्ना को बताइए
वे ज़रूर लगाएंगे एक ठहाका।
उनसे कहिए—
‘तुम इतने समझदार हो
फिर अनाड़ी जैसे क्यों लगते हो काका’?



6। जब महिलाओं के लिए हैं संस्थाएं और कानून सारे, तब कहां जाएं नारी उत्पीड़न के शिकार पुरुष बेचारे?


स्मृति खरे
नई दिल्ली

पुरुष जानता है कि
संस्थाओं और कानून की शरण में जाना
समय और धन की बरबादी है,
और वैसे भी वह सदा से
नारी के स्नेहिल उत्पीड़न का आदी है।
और इसलिए भी
कानून की शरण में नहीं जाता है,
क्योंकि नारी की तुलना में
खुद ज़्यादा सताता है।


7। अनाड़ी जी यहां सभी के पास मोबाइल है अगर भगवान के पास मोबाइल हो तो क्या हो?


ज्योत्स्ना जैन
सूरत (गुजरात)

भगवान के पास
बेशुमार जीवधारियों की
बेशुमार शिकायतें हैं।
मंत्र हैं, प्रेयर हैं, आयतें हैं।
गिनीं न जाएं इतनी सारी हैं फाइल,
उस पर अगर उन्होंने रख लिया मोबाइल
तो माना कि वो
नहीं किसी का भी खौफ़ रखेंगे,
लेकिन मोबाइल ट्वैंटी फोर आवर्स
स्विच्ड ऑफ रखेंगे।

10 comments:

mamta said...

बहुत ख़ूब ।

राजीव रंजन प्रसाद said...

अशोक जी..

पढ कर आनंद आ गया, आपकी हाजिर जवाबी/आशुकविता का कोई जवाब नहीं। संवेदित भी हुआ, ठहाके भी लगाये...

*** राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.merekavimitra.blogspot.com

Mohinder56 said...

अशोक जी
आपकी वाक पटुता के तो हम शुरू से ही कायल है, यह पोस्ट पढ कर आनन्द आ गया... बहुत खूबसूरती से अटपटे सवालोँ के चटपटे जबाब दिये है आपने.


मोहिन्दर
http://dilkadarpan.blogspot.com
http://merekavimitra.blogspot.com

Raag said...

मेरे ख्याल से खुशी को आपका साक्षात्कार लेना चाहिए।

राग

सुनीता शानू said...

अरे आप यहाँ भी है अनाड़ी जी अभी तक तो गृहलक्ष्मी में ही पढ़ा करते थे...बहुत सटिक जवाब है आपके...वैसे नारी के जवाब देना कोई आसान बात नही है...:)

सुनीता(शानू)

Alpana Verma said...

ha ha ha ha ha!!!! majaa aa gaya---
anadi ke jawab bahut mast hein -aur hum to baar baar pad kar hans ne mein vyast hein!!!!!!!!
:)

अंकुर गुप्ता said...

Dhoom Macha dee aapne!

http://ankurblogs.blogspot.com
htto://ankurthoughts.blogspot.com

शशिश्रीकान्‍त अवस्‍थी said...

अनाडी जी नमस्‍कार
आपके हाजिर जवाब का मै शुरू से कायल हू अपनी हाजिर जवाबी का राज हमसे से बताइयें

शशिकान्‍त अवस्‍थी
पटकापुर कानपुर
उत्‍तर प्रदेश

jitendra said...

anadi ji hajir jabab hona bahut mushkil hai aur jabab hona bahut mushkil hai ashok chakdhar hona namumkin. dil khush hogya ye pedhker

jitendra said...

anadi ji hajir jabab hona bahut mushkil hai aur hajir jabab ashok chakdhar hona namumkin. dil khush hogya ye pedhker