आपको सुचीत करने मे अतिआनंद हो रहा है की संपुर्ण हिंदी मे हिंदी साहित्य, काव्य एंव चर्चा आदी को समर्पीत जालस्थल शुरू हो चुका है| आपसे निवेदन है की आप उसे देखें और जुड जायें| जालस्थल का पता http://www.hindibhashi.com है|
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इस चक्रधर के मस्तिष्क के ब्रह्म-लोक में एक हैं बौड़म जी। माफ करिए, बौड़म जी भी एक नहीं हैं, अनेक रूप हैं उनके। सब मिलकर चकल्लस करते हैं। कभी जीवन-जगत की समीक्षाई हो जाती है तो कभी कविताई हो जाती है। जीवंत चकल्लस, घर के बेलन से लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन तक, किसी के जीवन-मरण से लेकर उसके संस्मरण तक, कुछ न कुछ मिलेगा। कभी-कभी कुछ विदुषी नारियां अनाड़ी चक्रधर से सवाल करती हैं, उनके जवाब भी इस चकल्लस में मिल सकते हैं। यह चकल्लस आपको रस देगी, चाहें तो आप भी इसमें कूद पड़िए। लवस्कार!
6 comments:
अगर चिट्ठाकारी की चकल्लस की बात कर रहे हैं तो सच है। छुटती नहीं है काफिर कीबोर्ड से लगी हुई।
महाशय अब कुछ लिखिए भी!!
कब तक तडपाएंगे?? :)
ऐसी बात है तो चखना पड़ेगा.
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धन्यवाद|
अब हम क्या कहें, हमें सबसे बड़ी खुशी तो यह है कि आपके यहाँ आने से हम सीधे आपसे संवाद कर सकते हैं। ब्लॉग ने हमारे आपके बीच की दूरी खत्म कर दी है।
jairam kie jairamjikie
ashok ji aapko 15 august ki lakh
lakh vadaayiaan
kuchh naya ho to sunao
aur hamare jiwan main hasya ras ka mantra jagaao
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