Tuesday, January 15, 2008

खुंदक का कांटा




माया यू. पी. की बनीं, दावे से सी.एम.,
प्रबल कामना अब जगी, बन जाएं पी.एम.
बन जाएं पी. एम., काम ना होने वाला,
यदि खुंदक का कांटा तुमने नहीं निकाला।
चक्र सुदर्शन देखे, वो ही पी.एम. आया,
जिसने सदा मुलायम बन फैलाई माया।

5 comments:

Shiv said...

बढिया....

समय की मांग है तो काँटा निकलने में देर नहीं लगेगी. नेता काँटा चुभा सकता है तो निकाल भी सकता है..

विनीत कुमार said...

to is jaade me kundaliya ban rahi hai sir ji, badiya hai,hame thand kam lagegi.

गुस्ताखी माफ said...

गुरु ये कुंडली कुछ ज़मीं नहीं. किसी छोरे छपाटे की होती तो चल जाती पर आपके नाम के हिसाब से तो....

Kirtish Bhatt said...

वाह! बड़ा ही मुलायम काँटा है.

पारुल "पुखराज" said...

wah....aur bas waah..