Saturday, June 23, 2007

नन्ही सचाई



एक डॉक्टर मित्र हमारे
स्वर्ग सिधारे।
असमय मर गए,
सांत्वना देने
हम उनके घर गए।

उनकी नन्ही-सी बिटिया
भोली-नादान थी,
जीवन-मृत्यु से
अनजान थी।
हमेशा की तरह
द्वार पर आई,
देखकर मुस्कुराई।
उसकी नन्ही सचाई
दिल को लगी बेधने,

बोली-
अंकल!
भगवान जी बीमार हैं न
पापा गए हैं देखने।

28 comments:

annapurna said...

Ek bahut hi jaane-pahchaane vaakya se itni sunder Rachana.....

Adbhut

Rajesh Roshan said...

जी यही है नन्ही सच्चाई, भावपूर्ण कविता

Pratik Pandey said...

नन्ही सच्चाई... मासूम सच्चाई... एक मात्र सच्ची सच्चाई

Sajeev said...

hameshaa ka tarah lajawaab rachna

Unknown said...

सीधे दिल पर असर कर गई यह नन्ही सचाई.

Rachna Singh said...

aap ki kavitayon per comment nahin likh saktee per chahtee hoon aap meri kavitoyon per kabhie kuch likhae
thanks
http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

मासूम की वाणी-दिल को छू गई.

Divine India said...

छू लेने वाली कविता…।
मानवतावाद के विखरे हुए उद्देश्य को अच्छी तरह प्रकट किया है।

Sanjeet Tripathi said...

नही मालूम था कि बौड़म जी ऐसी दिल को छू लेने वाली कविताएं भी लिखते हैं!

Neelima said...

बच्चे का मृत्यु के कारणों से साक्षात्कार बच्चे की ही भाषा में मार्मिक बन पडी है कविता

Vikash said...

मार्मिक कविता

विश्व दीपक said...

अशोक जी , इस बार दिल को छू लिया आपने। इस बार कोई चकल्लस नहीं हुई।

राजीव रंजन प्रसाद said...

बोली-
अंकल!
भगवान जी बीमार हैं न
पापा गए हैं देखने।

इस पंक्ति के बाद कविता आसमा छू लेती है और हृदय के भीतर बहुत गहरे महसूस होती है। बहुत ही सुन्दर रचना पढवाने का आभार।

*** राजीव रंजन प्रसाद

विनोद पाराशर said...

बच्चे निश्छल होते हॆ-उनकी निश्छलता को भावपूर्ण अभिव्यक्ती देती सुंदर रचना.कई सालों के बाद आपकी नयी कविता पढने को मिली हॆ.

kuldip said...

चक्रधरजी आपको ब्लोग्साईट पर देख कर एक सुखद अनुभव हुआ। अक्सर यहां अनछपे कवि ही दिखते हैं। एक जाना पहचाना हस्ताक्षर को यहां देख कर बहुत खुशी हुई।

Kuldip Gupta said...

अनुभव हुआ। अक्सर यहां अनछपे कवि ही दिखते हैं। एक जाना पहचाना हस्ताक्षर को यहां देख कर बहुत खुशी हुई।

शब्द-सृष्टि said...

हमारी आँख के आँसू भी कर लीजै स्वीकार...काश हम सब ऐसे ही बच्चे हो जाएं...कुछ पल मनुष्य बन जाएँ.

Anupama said...

Baat wahi hai shabd wahi hain...aapki kalam se utre to jaan bhar gai....

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav said...

गहरी वेदना, दिल तक समाई है,
शब्दों का श्रंग ले गहरी गहराई है
हमारी समझ में बस एक बात आई है,
"नन्ही सच्चाई ", नन्ही नहीं...
वरन एक बहुत बडी सच्चाई है,

पंकज सुबीर said...

अच्‍छी हेगी अशोक जी ये कविता
http://subeerin.blogspot.com

पंकज सुबीर said...

अच्‍छी हेगी अशोक जी आपकी ये कविता भोत भोत अच्‍छी हेगी
पंकज सुबीर सीहोर

Poonam Agrawal said...

Jeevan kee sachchai hai ye.kitnee asani se parichay karaa diya apne.Nanhi jubaan ne jis tarah kaha .shabd gahrai tak choo gaye.bahoot achchi rachnaa hai.

Devi Nangrani said...

चक्रधर जी
खूब अछूती रचना के अविध्कार के लिये बधाई

असुवन के श्रधाँजली उनके नाम
जो मरकर भी नहीं मरे
बस! जिंदा दिलों की वो
धड़कन बन कर धड़कते रहे.

देवी नागरानी

मीनाक्षी said...

नमस्कार अशोक जी, टी.वी पर तो आप का कार्यक्र्म देखते ही हैं. सौभाग्य कि यहाँ पढ़ने को भी मिल रहा है...

नन्ही सच्चाई सच मे मर्म को गहरे तक बेध गई है.

Unknown said...

बोली-
अंकल!
भगवान जी बीमार हैं न
पापा गए हैं देखने।


mere me itna sahas nahin hai ki aapki kisi rachna per koi bhi abhivaykti vyakt karun.....bas dil ko chho gai ye lines.........aisa sirf chakrdhar saab hi likh sakte hain............shat shat naman aapko.....

Vineet Tripathi said...

compossed very heart toucing poetry

Ankush Agrawal said...

chakradharji, aapki kavitao ke jaadu se to main kabse prabhavit hoon, abhi aapka mere college bhi aana hua parantu main aapse milne ka saubhagya prapt nahi kar saka....
aur aapki rachnao ki taarif karna to suraj ko deepak dikhane ke tulya hai...

neha said...

Very nice and touching!