
लोक कला व संस्कृति की तिमाही
संपादक : अशोक चक्रधर
इस अंक में जहां एक ओर गवेषणात्मक आलेख हैं वहीं दूसरी ओर कविताएं और कहानियां भी हैं। ब्रज के लोकनृत्यों, मुहूर्त, लोकधर्मी नाट्य परंपरा, आल्हा, बिरहा, नौटंकी, बुंदेलखंड के पारंपरिक लोक-चित्रांकन, लोक कलाओं में स्त्रियों की भागीदारी, प्रयाग, निमाड़, सोनभद्र के सांस्कृतिक संदर्भ, बूंदी की कला, इलाहाबाद संग्रहालय और आलोक पुराणिक का यात्रा वृत्तांत, कुंअर बेचैन और विष्णु सक्सेना के गीत, नीलिम कुमार, सुधीर, महेश्वर की कविताएं, नरेश शांडिल्य एवं डॉ. सोमदत्त शर्मा के दोहे आपको समकालीन कविता से रूबरू कराएंगे तथा प्रदीप चौबे की व्यंग्य छणिकाएं गुदगुदाएंगी और भी बहुत कुछ मिलेगा आपको इस अंक में।
प्रेक्षागार : इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली
4 comments:
बहुत देर से बताया, अब बंगलोर से कैसे आयें।
हास्य कवि का हास्य ही मिस्सिंग :)
wow ashok ji, very nic your poem
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